The Greatest Guide To #islamic #sabaq #deen #ka

A comprehensive analyze of Islamic jurisprudence, finance and other subjects with the eyes with the 4 Aa’immah among Other folks, covering many textbooks including the much celebrated Al-Hidayah.

देश की जनसंख्या चुँकि विभिन्न धर्मों,विभिन्न संस्कृतियों एवं जातियों से संबंधित विभिन्न तत्व सम्मिलित हैं। जिनके बीच आसानी से संप्रदायिक एवं जातिवाद कट्टरता एवं अपने हितों का टकराव उत्पन्न हो सकता है। जिसको सकारात्मक बौद्धिक शक्ति एवं अच्छे व्यवहार के स्रोत से नियंत्रण करने की आवश्यकता होती है। ताकि देश के विकास के लिए उसके विभिन्न तत्व के बीच एकता एवं संगत होने से मदद मिल सके और देश के हित की रक्षा हो सके। इसके लिए यह आवश्यक होता है कि देश के वासियों को उनके देसी अधिकार बराबर ढंग से प्राप्त हों। और जब विभिन्न तत्वों पर आधारित है, जिनमें बहुसंख्यक एवं अल्पसंख्यक का अंतर भी है तो आवश्यक है कि इस बात की चिंता रखी जाए कि आपस का मतभेद एक दूसरे को ग़लत दृष्टि से देखने एवं बर्ताव में बराबरी का बर्ताव ना करने की सीमा तक ना पहुँचे।

मुस्लिम अल्पसंख्यक इस देश में जिस संख्या में है वह देश के शरीर का एक मजबूत अंग है। इस अंग को कष्ट पहुँचा कर कमज़ोर रखना या समय-समय पर झिझक और बेचैनी से पीड़ित करते रहना देश की मज़बूती और विकास को हानि पहुँचाने वाली बात है। आर्थिक पद्धति हो या सत्ता एवं ताकत का मामला हो इसमें देश के इस मुख्य हाथ का मुख्य प्रदर्शन एवं योग्यता का अधिकार ना देना भविष्य के लिए मददगार बनने वाला रवैया नहीं है। यह देश के समस्त विभिन्न बुद्ध जीवियों एवं सत्ताधारी लोगों के समझने की बात है, कि देश को स्वतंत्रता मिलने के पश्चात से विकास एवं मजबूती प्राप्त करने की जो आवश्यकता है, उसके स्रोतों में देश के विभिन्न वर्गों में आपस की संगत और खुश दिली एक बड़ा स्रोत है। इस स्रोत को कमज़ोर नहीं करना चाहिए। जो साधन है उनसे पूरी मदद लेनी चाहिए।

अमीर-ए- शरीयत हज़रत मौलाना मुहम्मद वली रहमानी साहब

#नबी करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का विशेष स्वभाव दया,क्षमा

हज़रत मौलाना राबेअ हसनी नदवी दामत बरकातहुम

इस देश के दस्तूर (संविधान) में अल्पसंख्यक और बहुसंख्यक और विभिन्न धर्म के मानने वालों को अपने अपने धर्म पर अमल करने का जो अधिकार दिया गया है, उसके अन्तर्गत मुसलमानों को अपने धार्मिक नियमों के अनुसार अमल करने की अनुमति प्राप्त है। इस अनुमति के आधार पर भी मुसलमान इस देश को अपना देश समझते हैं और दूसरे देशवासियों की तरह इसकी हिफाज़त और विकास को अपनी ज़िम्मेदारी समझते हैं लेकिन दस्तूर के दिये हुए इस अधिकार के बाकी रहने को खतरा पेश आने लगे, या इसको बदल देने की कोशिश की जाने लगे, तो मुसलमान पर यह लाज़िम हो जाता है कि उसके बाकी रखने और सुरक्षा के लिए जो भी संवैधानिक तरीके हैं उनको एख्तियार करें।

(सेक्रेट्री अॉ ल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड)

यूनिफॉर्म सिविल कोड हमारे देश के लिए मुनासिब नहीं!

तहरीके इस्लाहे मुआशेरा अॉल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ लॉ बोर्ड

Aaj jab ke musalmano mein manmani zindagi ke mukhtalif atwar dakhil hogaye hai, jin ki wajah se ummat e muslima ki aklakh-wa-kirdar ki bulandi ki jo sifaat hain, wo apni jageh se hut gayi hain, aur gairo ki mukhtalif bigdi huwi sifaat bhi shamil hogayi hain, in se musalmano ki he nahi, islam ki bhi badnami ho rahi hai, is liye ke musalmano ki in bigdi huwi aadato aur rasmo ko Islam he ka namuna samjha jane laga hain, aur is tarha hum khud Islam ko badnaam karne ka dariya ban rahe hain, is ko dur karne ki shadid zarurat hain, taake mukhtalif mazhabo aur tahzibon ki is makhloot aabadi mein islam ki khair pasandi aur insaniyat nawazi ka jo imteyaz hain is ko sabit kar sakein.

Poore aalam se bohat se musalman hajj-e-baitullah ke liye rawana ho rahe hai, yani is farize ki adayegi ke liye jis ko Islam ka buniyadi sutun kaha gaya hai, jo mahaz jismani ibadat nahi balke ruhani ibadat bhi hai aur mali ibadat bhi. Haj ke ayyam mein banda Allah ke bohat karib hota hai, wo apne ghar ko, apne baccho ko aur apne ahbab ko garz har chiz ko chod kar Bina sile hue kapdo mein Allah ke paak ghar mein hazir hota hai aur us ki khushnudi chahta hai. Dauran e hajj jo arkaan ada kiye jate hai un par Allah ki janib se bada ajar ata kiya jata hai.

(अध्यक्ष अॉल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड)

वास्तविकता यह है कि here “यूनिफॉर्म सिविल कोड” विभिन्न कारणों से हमारे देश के लिए मुनासिब नहीं है, एक तो इससे अल्पसंख्यकों के धार्मिक अधिकार प्रभावित होंगे, जो संविधान के मूल आत्मा के विपरीत है, दूसरे : एकसमान कानून ऐसे देश के लिए तो मुनासिब हो सकता है, जिसमें एक ही धर्म के मानने वाले और एक ही संस्कृति से सम्बन्ध रखने वाले लोग बसते हों, भारत एक अधिकाधिक समाज से सम्मिलित देश है, जिसमें विभिन्न धर्मों के मानने वाले और विभिन्न संस्कृतियों से सम्बन्ध रखने वाले लोग पाये जाते हैं, बहूलता में एकता ही इसका असल सौंदर्य और इसकी पहचान है, ऐसे देश के लिए एकसमान निजी कानून व्यवहारिक नहीं हैं।

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